मन का अपराध

मन मौन व्रत कर अपराध करता हैकिस भांति देखो आघात करता हैव्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता हैगहरी से गहरी बात का आवाहन करता है।। मन मौन व्रत कर अपराध करता हैकभी गुस्से को शांत करता हैतो कभी गुस्से को विकराल रूप प्रदान करता हैमन मैं भरे गुस्से से खुद के व्यक्तिव का नाश करता […]

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